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बीजेपी की 2024 की जीत और मोदी 3.0 के पहले 500 दिन: वादों और हकीकत के बीच

Author: DeepOct
Date: 22 अक्टूबर 2025
Location: भारत


लोकसभा चुनाव 2024: 400 पार का सपना, 330-334 में सिमटी हकीकत
“अबकी बार 400 पार” – यही नारा था जब बीजेपी और NDA 2024 के लोकसभा चुनाव में उतरी थी। एग्जिट पोल्स में लगभग सभी ने अनुमान लगाया कि मोदी जी का नेतृत्व NDA को भारी बहुमत दिलाएगा। लेकिन जब परिणाम आए, तो बीजेपी को पिछले दस साल का सबसे बड़ा झटका लगा। 400 सीटें तो दूर की बात थी, मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को पहली बार अकेले पूर्ण बहुमत हासिल नहीं हुआ।


कोएलिशन की मजबूरी और मंत्रिमंडल का बंटवारा
बीजेपी को टीडीपी, जेडीयू, शिवसेना, एलजेपी जैसे पार्टनियों के साथ मिलकर सरकार बनानी पड़ी। 72 केंद्रीय मंत्रियों में से 11 मंत्रियों की स्थिति कोलिशन पार्टनर्स को देनी पड़ी। बड़े मंत्रालय जैसे अमित शाह, राजनाथ सिंह, निर्मला सीतारमण और एस. जयशंकर को अपने पास रखते हुए, सरकार ने नीतियों में निरंतरता बनाए रखने की कोशिश की।


नीतियों और सुधारों का संतुलन
मोदी 3.0 के पहले 500 दिनों में कई ऐसे निर्णय लिए गए जो जनता के लिए सकारात्मक रहे।

  • आर्थिक सुधार: आयकर में राहत, GST 2.0 की शुरुआत, और nominal GDP में जापान को पीछे छोड़ते हुए 7.4% की ग्रोथ।
  • सामाजिक योजनाएं: जनधन, आधार, उज्ज्वला, आयुष्मान भारत, पीएम आवास, हर घर जल जैसी पहलें जीवन को बदलने वाली रहीं।
  • सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय कदम: नक्सलवाद के खिलाफ सख्त कदम, पाकिस्तान एयरबेस पर जवाबी कार्रवाई।

लेकिन दूसरी तरफ, कई क्षेत्र निराशाजनक रहे:

  • इन्फ्रास्ट्रक्चर और भ्रष्टाचार: ब्रिज और हाईवे का गिरना, सरकारी कार्यालयों में रिश्वतखोरी।
  • लोकल और प्रशासनिक समस्याएं: रेलवे में ओवरक्राउडिंग, ट्रेन एक्सीडेंट्स, पेपर लीक और सरकारी अफसरशाही की कमज़ोरी।
  • सामाजिक विवाद और राजनीति: बढ़ती आरक्षण, फ्री बेनिफिट्स, जाति और धर्म आधारित मुद्दों का राजनीति में बढ़ता प्रभाव।

सार्वजनिक धारणा और राजनीतिक रणनीति
बीजेपी समर्थक और कोर वोटर अब कई मामलों में नाराज दिख रहे हैं। सोशल मीडिया और ऑन-ग्राउंड दोनों जगह जनता को आशा नहीं दिख रही। विरोधी दलों के पास मजबूत विकल्प नहीं हैं, और मौजूदा स्थिति में जनता के पास सीमित विकल्प बचे हैं।

बीजेपी की रणनीति स्पष्ट है: सत्ता बनाए रखने के लिए आवश्यकतानुसार नीतियों में बदलाव, आरक्षण और फ्री बेनिफिट्स के माध्यम से जनता का ध्यान आकर्षित करना।


निष्कर्ष
मोदी 3.0 सरकार ने पहले 500 दिनों में कुछ महत्वपूर्ण सुधार किए हैं, लेकिन बड़े मुद्दों पर जनता की उम्मीदें अभी अधूरी हैं। अगले तीन साल में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार किस दिशा में निर्णय लेती है, और जनता की अपेक्षाओं और राजनीतिक वास्तविकताओं के बीच संतुलन कैसे बनाती है।

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